रायपुर, 21 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ में महिलाओं, विशेषकर युवा आयु वर्ग में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए रायपुर मेनोपॉज सोसायटी की जन जागरूकता समिति ने कोलंबिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, रायपुर में एक कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य युवाओं और आम जनता को कैंसर की प्रारंभिक पहचान, रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व के बारे में जागरूक करना था। कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ, ROGS की उपाध्यक्ष और CGIFS की संयुक्त सचिव डॉ. सुषमा वर्मा ने छत्तीसगढ़ में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में प्रत्येक 28 में से 1 महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने की संभावना है। प्रारंभिक पहचान और नियमित स्क्रीनिंग से मृत्यु दर में 98% तक कमी लाई जा सकती है।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को 100% रोका जा सकता है और शुरुआती चरण में 90% तक ठीक किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में प्रति 1 लाख की आबादी पर 174-189 महिलाएं कैंसर से पीड़ित हैं। राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की OPD में प्रतिवर्ष 5000 महिलाएं कैंसर उपचार के लिए आती हैं। डॉ. वर्मा ने बताया कि अब 41-50 वर्ष की युवा महिलाएं पहले की तुलना में (51-60 वर्ष) अधिक प्रभावित हो रही हैं।
छत्तीसगढ़ में कैंसर की स्थिति
2023 में छत्तीसगढ़ में कैंसर से 11,011 मौतें हुईं, जिनमें 1,717 महिलाओं की मृत्यु स्तन कैंसर से हुई। यह आंकड़ा राज्य में कैंसर की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। डॉ. वर्मा ने असामान्य रक्तस्राव, पैल्विक दर्द और स्तन में गांठ जैसे चेतावनी संकेतों को गंभीरता से लेने की सलाह दी। उन्होंने एचपीवी टीकाकरण और नियमित पैप स्मीयर की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को समय पर टीकाकरण से रोका जा सकता है।
एम्स रायपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीता सिंह और सर्वोदय अस्पताल की डॉ. हिमानी पुन्सी ने प्रारंभिक लक्षणों जैसे अनियमित रक्तस्राव, बेवजह वजन घटना और स्तन में गांठ की पहचान पर बल दिया। उन्होंने 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को मासिक स्तन स्व-परीक्षण की सलाह दी। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कैंसर के मामले, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, देर से निदान और जागरूकता की कमी के कारण बढ़ रहे हैं। हालांकि, समय पर पहचान से 80-90% मामले ठीक हो सकते हैं।
कार्यक्रम में स्तन स्व-परीक्षण की विधि पर विस्तार से चर्चा हुई। डॉक्टरों ने बताया कि शीशे में स्तनों की जांच, बांहें उठाकर निप्पल में बदलाव देखना, लेटकर या शॉवर में गोलाकार गति से स्तन और बगल की जांच करना जरूरी है। किसी भी गांठ, गाढ़ेपन या असामान्य स्राव पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श की सलाह दी गई।
कार्यक्रम में हिंदी और अंग्रेजी में इंटरैक्टिव सत्र, लाइव प्रदर्शन और स्तन स्व-परीक्षण चार्ट का वितरण किया गया। एक केस स्टडी में बताया गया कि 32 वर्षीय महिला में श्वेत प्रदर और अनियमित रक्तस्राव के लक्षणों से सर्वाइकल कैंसर का शुरुआती चरण पकड़ा गया, जिसे ऑपरेशन से ठीक किया गया।
रायपुर मेनोपॉज सोसायटी की यह पहल महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।