प्रतापगढ़, 16 मई 2025। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में जिला प्रशासन और वन विभाग के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। डीएम शिव सहाय अवस्थी और डीएफओ के बीच चल रही तनातनी ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। डीएफओ द्वारा डीएम की बुलाई गई बैठकों का लगातार बहिष्कार किया जा रहा है, जिससे प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
शुक्रवार, 16 मई को डीएम ने अपने कैंप कार्यालय के सभागार में राजस्व प्रशासन और कर-करेत्तर राजस्व संग्रह की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी, लेकिन इस बैठक में भी डीएफओ अनुपस्थित रहे। डीएफओ ने अपनी जगह अधीनस्थ अधिकारी को भेजा था।
इसकी जानकारी होते ही डीएम शिव सहाय अवस्थी ने बैठक में डीएफओ की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए उनके अधीनस्थ अधिकारी को सभागार से बाहर जाने का निर्देश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि डीएफओ की यह अनुशासनहीनता और कार्य के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि डीएफओ को पहले जारी की गई सभी नोटिसों का उल्लेख करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए पत्र तैयार किया जाए। डीएम ने कहा, यह पहली बार नहीं है जब डीएफओ ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। उनकी अनुपस्थिति और कार्यों में ढिलाई से प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। इसकी पूरी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, डीएम और डीएफओ के बीच यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले कुछ महीनों से दोनों अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी देखी जा रही थी। डीएफओ द्वारा जिला प्रशासन की बैठकों में बार-बार अनुपस्थित रहने और महत्वपूर्ण निर्देशों का पालन न करने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं।
राजस्व संग्रह और पर्यावरण से संबंधित परियोजनाओं में वन विभाग की भागीदारी अहम मानी जाती है, लेकिन डीएफओ की अनुपस्थिति से इन कार्यों में देरी हो रही है। जिला प्रशासन का कहना है कि डीएफओ की यह कार्यशैली न केवल प्रशासनिक अनुशासन के खिलाफ है, बल्कि जिले के विकास कार्यों को भी प्रभावित कर रही है।
स्थानीय प्रशासनिक हलकों में इस घटना की खूब चर्चा हो रही है। कुछ अधिकारियों का मानना है कि डीएम और डीएफओ के बीच यह तनाव व्यक्तिगत मतभेदों से भी जुड़ा हो सकता है, जबकि अन्य का कहना है कि यह प्रशासनिक जवाबदेही और अनुशासन का मामला है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, डीएफओ की ओर से बार-बार बैठकों का बहिष्कार और उनके अधीनस्थों को भेजना एक तरह से प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देना है। डीएम का कड़ा रुख इस मामले में उचित है।
इस विवाद ने जिले के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सतर्क कर दिया है। डीएम ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसी लापरवाही किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, जिला प्रशासन एक टीम के रूप में कार्य करता है। यदि कोई भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से भागता है, तो यह पूरे तंत्र को प्रभावित करता है।
इस बीच, डीएफओ की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इस घटना के बाद यह मामला अब उच्च अधिकारियों और शासन तक पहुंचने की संभावना है। डीएफओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक रही है, और आने वाले दिनों में इस मामले में नया मोड़ आ सकता है।