रायपुर, 4 मई 2025। एआई तकनीकी से हर क्षेत्र में क्रांति हो रही है। इसे दृष्टिगत रखते हुए एआई रेडी स्कूल द्वारा एनएच गोयल वर्ल्ड स्कूल (NH Goel World School), रायपुर में 25 अप्रैल से 3 मई 2025 तक शिक्षकों के लिए पांच दिवसीय जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कार्यशाला आयोजित की गयी।
इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को नवीनतम एआई टूल्स से परिचित कराकर शिक्षा को अधिक रचनात्मक, व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना था। चार प्रमुख अधिगम शैलियों पर आधारित इस कार्यशाला ने शिक्षकों को एआई तकनीक को समझने और लागू करने का एक समग्र अनुभव प्रदान किया।
AI के अलग-अलग पहलुओं की मिली जानकारी
- कार्यशाला का पहला दिन एआई-आधारित टेक्स्ट निर्माण की नवीन तकनीकों पर केंद्रित रहा, जिसमें शिक्षकों को स्वचालित लेखन और सामग्री निर्माण के टूल्स से परिचित कराया गया।
- दूसरे दिन, चित्रों, ग्राफिक्स और प्रस्तुतीकरणों के निर्माण पर जोर दिया गया, जो कक्षा में दृश्य शिक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं।
- तीसरे दिन, वॉइसओवर, गीत और पॉडकास्ट निर्माण की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया गया, जिससे शिक्षक आडियो-आधारित शिक्षण सामग्री तैयार कर सकें।
- चौथे दिन, संवादात्मक चैटबॉट, सिमुलेशन और ऐप डेवलपमेंट जैसे उन्नत विषयों पर चर्चा हुई, जो छात्रों के लिए इंटरैक्टिव शिक्षण अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
- अंतिम दिन, एआई के नैतिक पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया और शिक्षकों को छात्रों को जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया।
समापन में AI-आधारित प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन
समापन एक भव्य सत्र के साथ हुआ, जिसमें शिक्षकों ने अपने द्वारा बनाए गए AI-आधारित प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया। इनमें कॉमिक स्ट्रिप्स, प्रेजेंटेशन, पॉडकास्ट और सिमुलेशन शामिल थे, जिन्हें पूरे विद्यालय समुदाय ने सराहा। यह सत्र नवाचार, रचनात्मकता और सहयोग का उत्सव बन गया। शिक्षकों ने न केवल तकनीकी कौशल सीखे, बल्कि यह भी जाना कि इन टूल्स का उपयोग कैसे कक्षा में छात्रों के सीखने के अनुभव को समृद्ध कर सकता है।
एआई रेडी स्कूल के निदेशक ने कहा, यह कार्यशाला शिक्षकों को 21वीं सदी के कौशलों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारा लक्ष्य ऐसी कक्षाओं का निर्माण करना है जो भविष्य के लिए तैयार हों और जहां छात्र रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें।
एनएच गोयल वर्ल्ड स्कूल के प्राचार्य ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यशाला न केवल शिक्षकों के लिए एक सीखने का अवसर थी, बल्कि यह शिक्षा के डिजिटल युग में प्रवेश का प्रतीक भी थी। इस प्रकार की पहलें निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के शैक्षिक परिदृश्य को और समृद्ध करेंगी, जिससे छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।