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रेखा की क्लासिक फिल्म उमराव जान फिर से बड़े पर्दे पर, 27 जून को 4K में होगी री-रिलीज

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मुंबई, 4 जून 2025। भारतीय सिनेमा की कालजयी कृतियों में शुमार फिल्म ‘उमराव जान’ एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौट रही है। रेखा की यादगार अदायगी, मुजफ्फर अली की खूबसूरत निर्देशन शैली और संगीत की मोहब्बत भरी दुनिया को समेटे यह फिल्म 27 जून 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में 4K फॉर्मेट में री-रिलीज की जाएगी।

नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (NFAI) और नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) ने मिलकर इस सिनेमाई नगीने को पुनर्जीवित किया है। पीवीआर सिनेमा ने इंस्टाग्राम पर इसकी री-रिलीज की घोषणा करते हुए लिखा, नजाकत, मोहब्बत और अमर संगीत की कहानी। देखिए ‘उमराव जान’ एक बार फिर, शानदार 4K फील के साथ। एक सिनेमाई हीरा जिसे फिर एक बार तराशा गया है।

उमराव जान, अभिनय से आत्मा तक

फिल्म में रेखा ने उमराव जान की भूमिका निभाई थी, जिसे उन्होंने सिर्फ निभाया नहीं, बल्कि जिया था। इस भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। रेखा ने अपने बयान में कहा, उमराव जान में मैंने अभिनय भले ही किया हो, पर वह मेरे भीतर रहती है, मेरे ज़रिए आज भी सांस लेती है। इस फिल्म को वापस बड़े पर्दे पर देखना ऐसा है जैसे किसी पुराने प्रेम पत्र को नई पीढ़ी के हाथों खोला जा रहा हो।

मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित यह फिल्म मिर्जा हादी रुसवा के 1899 में प्रकाशित प्रसिद्ध उपन्यास पर आधारित है। उन्होंने इसे महज एक फिल्म नहीं, बल्कि बीते ज़माने की तहज़ीब, शायरी और प्रेम की आत्मा को परदे पर जीवंत करने का प्रयास बताया।

मुजफ्फर अली के शब्दों में, उमराव जान एक भूली हुई संस्कृति की आत्मा की यात्रा है। हमने उस युग की भव्यता को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया, जहां प्रेम को कविता में पिरोया जाता था। रेखा ने इस किरदार को अमर कर दिया।

दमदार कलाकार और शायराना संवाद

इस फिल्म में रेखा के साथ-साथ फारूख शेख, नसीरुद्दीन शाह और राज बब्बर जैसे मंझे हुए कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया था। इसकी शायरी, संगीत और संवाद आज भी दर्शकों को भावुक कर देते हैं।

फिल्म का संगीत खय्याम ने दिया था और गीतों को शहरयार ने लिखा था। इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं’, ‘दिल चीज क्या है’ जैसे गीत आज भी अमर हैं।

क्यों है यह री-रिलीज खास

  • 4K रिज़ॉल्यूशन में रीस्टोर की गई फिल्म: आधुनिक तकनीक के जरिए पुरानी फिल्म को नया जीवन मिला है।
  • नई पीढ़ी को पुराने सिनेमा से जोड़ने का माध्यम: यह फिल्म भारतीय सिनेमा की क्लासिक परंपरा और सौंदर्यबोध को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का जरिया बनेगी।
  • सिनेप्रेमियों के लिए उत्सव: पुराने दर्शकों को यादों की दुनिया में लौटने का अवसर मिलेगा, वहीं नई पीढ़ी को भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग की झलक देखने को मिलेगी।

Ramesh Pandey

मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। पत्रकारिता मेरा मिशन भी है और प्रोफेशन भी। सत्य और तथ्य पर आधारित सही खबरें आप तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। आप हमारी खबरों को पढ़ें और सुझाव भी दें।

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