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जैतूसाव मठ की जमीन में बंदरबांट का खुलासा, न्यायिक जांच की मांग

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रायपुर, 14 जनवरी 2025। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जैतूसाव मठ ट्रस्ट की जमीन में बड़े पैमाने पर बंदरबांट का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुरानी बस्ती के महंत रामआशीष दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर जमीन की कूट रचना के जरिए सौदेबाजी करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने मठ की संपत्तियों को वापस दिलाने और मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।

महंत रामआशीष दास ने बताया कि 1988 से 2007 तक मठ की जमीनों को अवैध तरीके से बेचा गया। ग्राम धरमपुरा में स्थित जैतूसाव मठ, हनुमान मंदिर और गोपीदास मंदिर की कुल 107 एकड़ जमीन कूट रचना के आधार पर नामचीन हस्तियों को बेच दी गई।

महंत ने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार 1 जनवरी 2025 को यह स्पष्ट किया गया था कि सन 1972 से महंत लक्ष्मीनारायण दास के नाम पर दर्ज जमीन, उनकी मृत्यु के बाद मठ के नाम पर दर्ज होनी चाहिए थी। लेकिन, 1988 से 2007 तक महंत लक्ष्मीनारायण दास के नाम का दुरुपयोग कर लगातार जमीन की बिक्री की गई।

महंत रामआशीष दास ने आरोप लगाया कि ग्राम धरमपुरा और सेजबहार की लगभग 60 एकड़ जमीन को बेचा गया, जबकि किसी को मठ की जमीन बेचने का कोई अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रशासन और ट्रस्ट के प्रबंधकों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

महंत ने कहा कि जैतूसाव मठ की संपत्तियों का 1988 से 2007 तक कोई लेखा-जोखा नहीं हुआ। उन्होंने मांग की है कि जिन जमीनों को अवैध तरीके से बेचा गया, उन्हें वापस मठ के नाम पर दर्ज किया जाए। साथ ही, इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की जाए ताकि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो सके।

महंत रामआशीष दास की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस ने रायपुर में हलचल मचा दी है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है।

Ramesh Pandey

मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। पत्रकारिता मेरा मिशन भी है और प्रोफेशन भी। सत्य और तथ्य पर आधारित सही खबरें आप तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। आप हमारी खबरों को पढ़ें और सुझाव भी दें।

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