तीन साल की बच्ची का अपहरण कर किया था दुष्कर्म
लखनऊ, 6 जून 2025। यूपी की राजधानी लखनऊ में ऐशबाग का दुर्दांत अपराधी दीपक वर्मा को एसटीएफ ने 6 जून 2025 की भोर में मार गिराया। दीपक वर्मा रात में सड़क के किनारे सो रहे असहाय परिवार और कबाड़ बीनकर जीवन यापन करने वाली महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाता था। यह काम वह इतने शातिराना ढंग से करता था कि पकड़ में नहीं आता था।
रात के अंधेरे में वह अपने शिकार की तलाश में रहता और मौका मिलते ही वारदात को अंजाम देता था। वह अपनी वेशभूषा पुजारी के शक्ल में बनाकर रखता था ताकि कोई उस पर यह शक न कर सके कि वह इस तरह के घिनौने कार्य को अंजाम देगा। प्राय: वह धार्मिक आयोजनों, भंडारे और जगराता कार्यक्रमों में भी शामिल होता रहता था।
बुधवार 4 जून 2025 की रात उसने आलमबाग इलाके में एक तीन साल की मासूम को अपना शिकार बनाया। इसकी जानकारी होने के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया। प्रदेश के नये पुलिस मुखिया बने राजीव कृष्ण के लिए यह घटना चुनौतीपूर्ण थी। उन्होंने एसटीएफ समेत पुलिस की पांच अलग-अलग टीमों को मासूम बालिका के दुष्कर्मी को ढूंढ निकालने की जिम्मेदार दी और एक लाख रुपये का ईनाम भी घोषित किया।
पुलिस ने सीसीटीवी के फुटेज को देखा तो दुष्कर्मी दीपक वर्मा की पहचान हुई। वह सफेद रंग की स्कूटी से आया था। इसके बाद मासूम बालिका को उठाकर ले गया था। सीसीटीवी फुटेज में स्कूट का नंबर भी ट्रैस हो गया। पर शातिर दीपक वर्मा निश्चिन्त और बेखौफ था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी।
6 जून की भोर में करीब पौने चार बजे शातिर दीपक वर्मा फिर शिकार की तलाश में निकला था। इधर पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। दीपक सीओ कैंट आफिस के पीछे गन्ना संस्थान रोड पर दिखा तो पुलिस ने उसका पीछा किया। पुलिस से घिरा देख दीपक ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस और एसटीएफ की टीम ने भी फायरिंग की, जिसमें दीपक वर्मा मारा गया।
जानकारी के मुताबिक ऐशबाग का रहने वाला दीपक वर्मा रेलवे में पानी सप्लाई का काम करता था। इसके अलावा वह माता रानी के जागरण में झांकी निकालने का भी काम करता था। 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों को खंगालने के बाद वह पुलिस उसकी पहचान कर पायी थी।
दीपक वर्मा के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि आलमबाग के इंस्पेक्टर सुभाष चन्द्र सरोज ने किया है।