रायपुर, 1 जून 2025। मोदी सरकार की ओर से बार-बार यह दावा किया जाता है कि देश में भ्रष्टाचार को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग नजर आती है। इसका ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट माना पर सामने आया है, जहां पार्किंग शुल्क के नाम पर यात्रियों से खुलेआम लूट की जा रही है।
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एयरपोर्ट पर 40 रुपये निर्धारित शुल्क की जगह 60 रुपये की वसूली की जा रही है, और वह भी हर वाहन से। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ एअरपोर्ट अथॉरिटी की जानकारी में होते हुए भी हो रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस गोरखधंधे में एयरपोर्ट के अधिकारी भी शामिल हैं, या कम से कम उनकी मौन सहमति है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं होती।

फ्री पार्किंग का नियम कागजों में सिमटा
एयरपोर्ट पर वाहनों के लिए पहले 5 मिनट की फ्री पार्किंग की व्यवस्था है, लेकिन ठेकेदार इस नियम की खुलेआम अवहेलना कर रहा है। यात्रियों को फ्री पार्किंग की सुविधा देने के बजाय उन्हें जबरन शुल्क अदा करने को मजबूर किया जाता है। यदि कोई इसका विरोध करता है, तो उससे दुर्व्यवहार किया जाता है और अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है।
ठेकेदार की दबंगई
रिपोर्ट के अनुसार, पार्किंग का ठेका संभाल रहे कर्मचारी और प्रबंधन के लोग किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते। जब यात्रियों ने विरोध जताया तो ठेकेदार का जवाब था, जिसे जहां शिकायत करनी है, कर ले। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इस बयान से यह साफ जाहिर होता है कि ठेकेदार को किसी उच्च स्तर पर संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते वह बेधड़क इस तरह की अवैध वसूली कर रहा है।
वर्षों से चल रहा भ्रष्टाचार, कोई कार्रवाई नहीं
यह स्थिति कोई नई नहीं है। स्थानीय नागरिकों और नियमित यात्रियों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार पिछले कई वर्षों से जारी है, लेकिन अब तक न तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कोई ठोस कदम उठाया है और न ही केंद्र सरकार की ओर से कोई हस्तक्षेप किया गया है।
यह घटनाक्रम मोदी सरकार के उस दावे पर सीधा सवाल खड़ा करता है, जिसमें कहा जाता है कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि राजधानी रायपुर जैसे संवेदनशील स्थान पर खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है, और उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, तो यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर देश के अन्य हिस्सों में क्या स्थिति होगी।
यात्रियों का गुस्सा
रायपुर एयरपोर्ट पर आने-जाने वाले आम नागरिक, वरिष्ठ नागरिक, बिजनेसमैन और सम्मानित यात्री अब इस स्थिति से तंग आ चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
सरकार की चुप्पी, विपक्ष के सवाल
इस पूरे मामले पर सरकार की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है और सवाल पूछ रहे हैं कि यदि केंद्र सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो वह इस तरह की गतिविधियों को कैसे नजरअंदाज कर रही है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर मंच से कहते हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ है, लेकिन अपने ही मंत्रालयों और संस्थाओं में जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उस पर आंखें मूंद ली गई हैं। रायपुर एयरपोर्ट का मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है।
रायपुर एयरपोर्ट पर चल रहे इस अवैध वसूली के खेल को देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न सिर्फ जनता का विश्वास खो देगा बल्कि मोदी सरकार की ईमानदारी और पारदर्शिता की छवि पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगा।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। क्या पार्किंग घोटाले के दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी? क्या यात्रियों को राहत मिलेगी? या यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह दबा दिया जाएगा?
रायपुर एयरपोर्ट पर पार्किंग शुल्क के नाम पर हो रही वसूली केवल एक छोटे स्तर का भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में फैली गहरी सड़न की ओर इशारा करता है। यदि सरकार वास्तव में ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अमल कर रही है, तो ऐसे मामलों पर तुरंत और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा कायम रह सके।