नई दिल्ली, 14 जून 2025। नीति आयोग ने भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने की दृष्टि से एक वर्किंग पेपर जारी कर कुछ सिफारिशे की हैं। नीति आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि प्रस्तावित भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत को चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, झींगा, चाय, कॉफी, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री, सेब, बादाम, पिस्ता, मक्का और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित सोया उत्पादों के लिए अपना बाजार खोल देना चाहिए। जिसको लेकर देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ को आशंका है कि ऐसा करना कृषि पर निर्भर 70 करोड़ भारतीयों के लिए जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है।
किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अमेरिका के साथ टेरिफ लड़ाई में नीति आयोग क्यो घुटने टेक रहा है। जब सरकार देश को तिलहन में स्वावलंबी बनाने की तैयारी में हैं, तब खाद्य तेल के आयात शुल्क में कमी करना अपने आप में एक विरोधाभासी निर्णय है।
श्री मिश्र ने देश व किसान हितैषी नीति के खिलाफ नीति आयोग के सुझावों पर ऐतराज जताते हुये कहा कि नीति आयोग के सलाहकार अपनी सिफारिशों पर पुनविर्चार करते हुए सरकार की स्वावलंबन नीति के आधार पर आगे बढ़ने की तैयारी करें और किसान हितैशी विषयों को प्राथमिकता दें।
जीएम के आयात के पक्ष में नीति आयोग क्यों?
श्री मिश्र ने सवाल खड़े़ करते हुये कहा कि जी.एम. (सोया व मक्का) के आयात के पक्ष में सुझाव देनें का तर्क समझ से परे है। सर्वविदित है कि अमेरिका में जी.एम. सोया एवं मक्का दोनों को पशु खाद्य के रूप में उपयोग कर, कुछ मात्रा में इससे ईथेनॉल बनाया जाता है। ऐसे में इस उपज को भारत में आयात करने का सुझाव क्यों दिया है? श्री मिश्र ने आगे कहा कि देश में जब खाद्य संबंधी आयातित सामग्री के साथ नॉन जी.एम. सोर्स एवं नॉन जी.एम. सर्टिफिकेट जरूरी है, तब नीति आयोग के ये सुझाव कई गंभीर प्रश्न खड़े करते है।
अमेरिकी जीएम आयात करने की सिफारिश क्यों?
सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य लेकर नीति बनाई थी और रिपोर्ट के मुताबिक हम 18.5 प्रतिशत इथेनॉल मिला चुके हैं। ऐसे में हम देश के किसानों से पैदा मक्का व गन्ना छोड़कर अमेरिकी जीएम मक्का को आयात करने का सुझाव किसान हितों के साथ टकराव दिखाता है। नीति आयोग के ऐसे अनीतिपूर्ण सुझावों में तुरंत सुधार होना चाहिये।
नीति आयोग का झुकना भारत के लिए अच्छा नहीं
महामंत्री श्री मिश्र ने कहा कि यदि नीति आयोग अमेरिकी टेरिफ वार में अपने को अक्षम मानता है तो उन्हें भारत के किसानों से सहायता मांगना चाहिए। भारत के छोटे-छोटे मेहनतकश किसान हिम्मत के साथ इन समस्याओं को सुलझाने का सामर्थ्य रखते है। जबकि बगैर जी.एम. के ही अभी तक हम सभी फसलों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर चुके हैं। दलहन-तिलहन में सरकार की नीति साथ दें तो भारत को स्वावलंबी बनाने के लिए देश का किसान तैयार है। ऐसी स्थिति में किसी के दबाव में नीति आयोग का झुकना भारत के लिए अच्छा नहीं है। यदि नीति आयोग को देश के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं है तो सरकार को नीति आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर चिंतन मनन करना जरुरी है।
कृषि निर्यात नीति को आगे बढ़ाये नीति आयोग
भारतीय किसान संघ के महामंत्री श्री मिश्र ने बताया कि जब वर्ष 2018 में वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत देश में पहली बार एक कृषि निर्यांत नीति बन रही थी। जिसमें दुनियाभर में स्थित भारत के दूतावासों में एक सुरक्षित टेबल स्थापित कर, सिर्फ कृषि व्यापार बाजार की इंण्टेलीजेंस के बारे में जानकारी एकत्र कर भारत से निर्यात की व्यवस्था बनाये जाने की बात कही गई थी। इस दिशा में नीति आयोग क्यों नहीं आगे बढ़ रहा है?