प्रतापगढ़, 17 मई 2025। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में आंवला उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। इसके लिए आंवला एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन प्रतापगढ़ का गठन सर्वसम्मति से किया गया। इस फाउंडेशन का उद्देश्य आंवला और इसके उत्पादों को देश-विदेश में प्रचारित करना, निर्यात को बढ़ावा देना और स्थानीय उत्पादकों को वैश्विक बाजार से जोड़ना है। इस महत्वपूर्ण पहल के तहत वीरेंद्र पांडेय को आयात-निर्यात प्रबंधक नियुक्त किया गया है, जो आंवला उत्पादों की गुणवत्ता और निर्यात प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
फाउंडेशन का गठन और उद्देश्य
आंवला, जिसे भारतीय संस्कृति में औषधीय और पौष्टिक गुणों के लिए जाना जाता है, प्रतापगढ़ जिले की पहचान है। जिले में आंवला के साथ-साथ अमरूद और आम का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। आंवला से बने उत्पाद जैसे मुरब्बा, अचार, जैली, जूस, पाउडर, और लड्डू स्थानीय स्तर पर तो लोकप्रिय हैं, लेकिन वैश्विक बाजार में इनकी मांग को और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए आंवला एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन का गठन किया गया है।
फाउंडेशन का प्रमुख उद्देश्य आंवला उत्पादों को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करना, गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना, और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके लिए शासन, उत्पादकों, और निर्यातकों के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। फाउंडेशन नई योजनाओं को लागू करने, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने, और उत्पादकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान देगा।
वीरेंद्र पांडेय की भूमिका
आयात-निर्यात प्रबंधक के रूप में वीरेंद्र पांडेय की नियुक्ति इस फाउंडेशन की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पांडेय ने अपने संबोधन में कहा, प्रतापगढ़ का आंवला अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। हमारा लक्ष्य इसे देश-विदेश में एक अलग पहचान दिलाना है। इसके लिए हम शासन और उत्पादकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करेंगे और नई योजनाओं को लागू करेंगे।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि वैश्विक व्यापार में नैतिकता और रणनीतिक निर्णयों को ध्यान में रखते हुए, आपरेशन सिंदूर में तुर्की और अजरबैजान की भूमिका के कारण इन देशों के साथ आयात-निर्यात का बहिष्कार किया जाएगा। यह निर्णय क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार नीतियों के अनुरूप लिया गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादकों के हितों की रक्षा करना है।
फाउंडेशन की संरचना
फाउंडेशन की समिति में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, ताकि सभी स्तरों पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो। समिति की संरचना इस प्रकार है:
- उपाध्यक्ष: मुख्य विकास अधिकारी
- सचिव: यतींद्र तिवारी
- कोषाध्यक्ष: हर्षित श्रीवास्तव
- प्रचार-प्रसार प्रबंधक: अनुराग खंडेलवाल
- उत्पादन प्रबंधक: प्रकाश शुक्ला
- रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रबंधक: सौरभ शुक्ला
- गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधक: अभिषेक सिंह
- सदस्य: उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, अग्रणी जिला प्रबंधक (बैंक आॅफ बड़ौदा), जिला उद्यान अधिकारी, उपायुक्त उद्योग, मोहम्मद अनम (नामित सदस्य)
यह संरचना सुनिश्चित करती है कि फाउंडेशन के सभी पहलुओं उत्पादन, गुणवत्ता, प्रचार, और वित्तीय प्रबंधन पर विशेषज्ञों की नजर रहे। समिति का गठन जिला प्रशासन और स्थानीय हितधारकों के सहयोग से किया गया है, जो इस पहल को और मजबूती प्रदान करता है।
आंवला निर्यात की संभावनाएं
प्रतापगढ़ में आंवला उत्पादन की विशाल क्षमता को देखते हुए, फाउंडेशन का गठन स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। आंवला उत्पादों की मांग न केवल भारत में, बल्कि अमेरिका, यूरोप, और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भी बढ़ रही है। इसके पीछे आंवला के औषधीय गुण, आयुर्वेद में इसका महत्व, और प्राकृतिक उत्पादों के प्रति बढ़ता रुझान है।
फाउंडेशन ने आंवला उत्पादों के लिए वैश्विक मानकों को अपनाने की योजना बनाई है। इसमें जैविक प्रमाणन, पैकेजिंग में सुधार, और निर्यात प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल है। इसके अलावा, रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रबंधक सौरभ शुक्ला के नेतृत्व में नए उत्पादों पर शोध किया जाएगा, जैसे आंवला-आधारित न्यूट्रास्यूटिकल्स और कॉस्मेटिक उत्पाद।
स्थानीय उत्पादकों के लिए लाभ
आंवला एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन का गठन प्रतापगढ़ के स्थानीय किसानों और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए एक वरदान है। फाउंडेशन के माध्यम से किसानों को उन्नत तकनीकों, बीजों, और प्रशिक्षण की सुविधा मिलेगी। साथ ही, उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक मंच प्रदान किया जाएगा।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि जिले में पहले से ही कई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां कार्यरत हैं, जो आंवला उत्पादों का निर्माण करती हैं। फाउंडेशन इन इकाइयों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सकें। इसके लिए बैंक आॅफ बड़ौदा जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ भी सहयोग किया जाएगा।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि फाउंडेशन का गठन एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। इनमें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा, लॉजिस्टिक्स की समस्याएं, और उत्पादकों के बीच जागरूकता की कमी शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए फाउंडेशन ने कई रणनीतियां तैयार की हैं।
प्रचार-प्रसार प्रबंधक अनुराग खंडेलवाल के नेतृत्व में डिजिटल मार्केटिंग और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधक अभिषेक सिंह यह सुनिश्चित करेंगे कि निर्यात किए जाने वाले सभी उत्पाद वैश्विक मानकों को पूरा करें।
भविष्य की योजनाएं
फाउंडेशन ने अगले पांच वर्षों में प्रतापगढ़ के आंवला उत्पादों को वैश्विक बाजार में एक प्रमुख ब्रांड के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए निम्नलिखित योजनाएं लागू की जाएंगी:
- जैविक खेती को बढ़ावा: किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- निर्यात सुविधा केंद्र: जिले में एक समर्पित निर्यात सुविधा केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय भागीदारी: वैश्विक खाद्य मेलों और व्यापार मिशनों में भाग लिया जाएगा।
- प्रशिक्षण और कार्यशालाएं: उत्पादकों और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे।
आंवला एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन का गठन प्रतापगढ़ के लिए एक नई शुरुआत है। यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि जिले के किसानों और उद्यमियों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाएगा। वीरेंद्र पांडेय और उनकी टीम के नेतृत्व में, फाउंडेशन आंवला उत्पादों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहल न केवल प्रतापगढ़, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक मिसाल बन सकती है।