रायपुर, 18 जून 2025। छत्तीसगढ़ में माओवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षा बलों ने एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। देश के 13 सबसे वांछित माओवादी नेताओं में शामिल सेंट्रल कमेटी के सदस्य गजराला रवि उर्फ उदय को आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर मारकेपल्ली में हुई मुठभेड़ में मार गिराया गया। उनके साथ दो अन्य महिला नक्सली, जिनमें अरुणा (माओवादी नेता चलापति की पत्नी) और एक अन्य नक्सली अंजी शामिल हैं, भी ढेर हो गईं। इस ऑपरेशन ने माओवादी संगठनों को गहरा झटका दिया है। आइए, इस मुठभेड़ के बारे में विस्तार से जानते हैं कि यह कब, कहाँ और कैसे हुआ।
मुठभेड़ का स्थान और समय
18 जून 2025 को सुबह छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित मारकेपल्ली क्षेत्र में ग्रेहाउंड्स (आंध्र प्रदेश पुलिस की विशेष कमांडो इकाई) और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। यह ऑपरेशन आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति (AOBSZC) के गढ़ में चलाया गया, जो माओवादियों का मजबूत ठिकाना माना जाता है। मुठभेड़ की पुष्टि अल्लूरी सीताराम राजू जिले के पुलिस अधीक्षक अमित बरदार ने की। उनके अनुसार, खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू किए गए इस अभियान में तीन बड़े नक्सली कैडर मारे गए।
कौन था गजराला रवि
गजराला रवि, जिसे उदय, गणेश, आनंद और गजराला रविंदर जैसे कई नामों से जाना जाता था, माओवादी संगठन की सेंट्रल कमेटी का प्रमुख सदस्य था। उस पर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था। 62 वर्षीय रवि आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के वेलिशाला गांव का निवासी था। वह 1980 के दशक में पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) में शामिल हुआ और रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) का नेता रहा।
रवि का आपराधिक इतिहास बेहद खतरनाक रहा है। 10 फरवरी 2012 को उसने अपने साथियों के साथ बीएसएफ की एक टीम पर हमला किया था, जिसमें एक कमांडेंट सहित तीन जवान शहीद हो गए थे और उनके हथियार लूट लिए गए थे। 2014 से फरार रवि छत्तीसगढ़ में सक्रिय था और कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। वह 2004-05 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार (वाईएस राजशेखर रेड्डी) के साथ शांति वार्ता में शामिल PWG प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी था।
उसका पूरा परिवार माओवादी गतिविधियों से जुड़ा रहा। उसकी पत्नी जमीला, बड़ा भाई आजाद, और भाभी मुठभेड़ों में मारे गए, जबकि छोटा भाई आइतू ने आत्मसमर्पण कर दिया। रवि का मारा जाना माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह रणनीतिक और संगठनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
कौन थी अरुणा
मुठभेड़ में मारी गई दूसरी प्रमुख नक्सली अरुणा थी, जिस पर 20 लाख रुपये का इनाम था। अरुणा विशाखापत्तनम जिले के पेंडुर्थी मंडल के करकवानीपालेम गांव की रहने वाली थी। वह करीब 25 साल पहले माओवादी आंदोलन में शामिल हुई थी और पूर्वी डिवीजन सचिव के रूप में सक्रिय थी। अरुणा माओवादी केंद्रीय समिति के नेता प्रतापरेड्डी रामचंद्र रेड्डी उर्फ चलापति की पत्नी थी, जो हाल ही में दंडकारण्य क्षेत्र में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
उसका भाई आजाद, जो गलीकोंडा एरिया कमांडर था, 2015 में कोय्यूर मंडल में मारा गया था। सूत्रों के मुताबिक, अरुणा हाल के दिनों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी, लेकिन वह माओवादी गतिविधियों में सक्रिय थी। उसकी मौत ने माओवादी संगठन की कमर और कमजोर कर दी है।
कौन थी नक्सली अंजी
मुठभेड़ में मारी गई तीसरी नक्सली अंजी थी, जिसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, वह भी माओवादी संगठन की एक सक्रिय सदस्य थी और इस क्षेत्र में गतिविधियों में शामिल थी। ग्रेहाउंड्स, आंध्र प्रदेश पुलिस की एक विशेष कमांडो इकाई है, जिसे 1989 में माओवादियों से निपटने के लिए गठित किया गया था। यह इकाई जंगलों में गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रशिक्षित है और माओवादियों के खिलाफ कई सफल अभियान चला चुकी है। इस मुठभेड़ में ग्रेहाउंड्स ने खुफिया जानकारी के आधार पर मारकेपल्ली क्षेत्र में घेराबंदी की। नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू की, जिसके जवाब में ग्रेहाउंड्स ने प्रभावी कार्रवाई की। मुठभेड़ कई घंटों तक चली, जिसमें तीनों नक्सली मारे गए।
माओवाद उन्मूलन में छत्तीसगढ़ की प्रगति
छत्तीसगढ़ में माओवाद के खिलाफ अभियान में 2024 और 2025 में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इस साल अब तक 174 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं, जबकि सैकड़ों ने आत्मसमर्पण किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश को माओवाद मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। 21 मई 2025 को अबूझमाड़ जंगल में हुई मुठभेड़ में नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज समेत 27 नक्सली मारे गए थे, जिसे तीन दशकों में सबसे बड़ी सफलता माना गया।
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में सुरक्षा बलों ने नए कैंप स्थापित किए हैं और विकास योजनाओं को लागू किया जा रहा है। एलवद पंचायत योजना के तहत नक्सल मुक्त ग्राम पंचायतों को 1 करोड़ रुपये की विकास राशि दी जा रही है। सुकमा जिले का केरलापेंदा गांव हाल ही में नक्सल मुक्त घोषित हुआ।