प्रतापगढ़, 17 जून 2025। सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन उसकी जीत निश्चित है। यह ध्रुव सत्य एक बार फिर साबित हुआ है। प्रतापगढ़ के राजा दिनेश सिंह कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज, बढ़नी के संरक्षक राजेंद्र प्रताप सिंह ने इस बात को दोहराते हुए जय मां दुर्गे समिति के लंबे समय से चले आ रहे विवाद के सुखद अंत की घोषणा की।
सब रजिस्ट्रार चिट्स फंड सोसायटी, प्रयागराज, कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने 9 जून 2025 को अपने 17 पृष्ठों के ऐतिहासिक निर्णय में फर्जी तरीके से गठित प्रबंध समिति और साधारण सभा को भंग कर दिया। यह समिति 12 मार्च 2025 को रमाकांत शुक्ला और उनके सहयोगी द्वारा गलत तरीके से बनाई गई थी, जिसे अब कालातीत मानते हुए समिति के सदस्यों के बीच नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय न केवल समिति के संरक्षक राजेंद्र प्रताप सिंह और अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडे के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह सत्य और न्याय के पक्ष में एक मिसाल भी बन गया है।
जय मां दुर्गे समिति के विवाद की पृष्ठभूमि
जय मां दुर्गे समिति और राजा दिनेश सिंह कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज, बढ़नी के संचालन में पिछले कुछ वर्षों से अनियमितताओं और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप सामने आ रहे थे। समिति के संरक्षक राजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि समिति के संविधान के अनुसार, वह और अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडे ही आजीवन सदस्य हैं।
इसके बावजूद, पूर्व प्रबंधक रमाकांत शुक्ला ने गुप्त रूप से 25 लोगों के साथ मिलकर लगभग 85 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। यह राशि कथित तौर पर अध्यापकों की नियुक्ति के नाम पर ली गई थी, जबकि विद्यालय वित्त विहीन है और इसका खर्च विद्यालय की आय से ही वहन किया जाता है। रमाकांत के सहयोगी और रिश्तेदार सूर्यमणि तिवारी ने इस धोखाधड़ी में दलाली की भूमिका निभाई, जिसे रमाकांत ने अदालत में स्वीकार भी किया।
रमाकांत शुक्ला के खिलाफ प्रतापगढ़ की निचली अदालत में तीन मुकदमों में सजा हो चुकी है, जबकि चार मुकदमे प्रतापगढ़ और एक चेक बाउंस का मामला रायबरेली में विचाराधीन है। इसके अलावा, रमाकांत और उनके सहयोगियों ने जूनियर हाई स्कूल, बढ़नी की 9 बीघा जमीन को अवैध रूप से बेचने का प्रयास किया, जिसके लिए उन्होंने ओमप्रकाश पांडे को बदनाम करने की साजिश रची। इस स्कूल की संपत्ति संविधान के अनुसार ओमप्रकाश पांडे के अधिकार में है, और उन्होंने कभी भी विद्यालय के धन का दुरुपयोग नहीं किया।
फर्जी समिति और साजिश
रमाकांत शुक्ला ने अपनी साजिश को और गहरा करते हुए 21 मार्च 2025 को एक फर्जी समिति बनाकर सब रजिस्ट्रार को गुमराह किया और इसे अनुमोदित करवा लिया। इस समिति में राजेंद्र प्रताप सिंह को संरक्षक पद से हटा दिया गया था। इसके साथ ही, रमाकांत और उनके सहयोगियों ने सांसद निधि से बने दो कमरों को निजी आवास में तब्दील कर लिया और वहां कुछ अपराधियों और महिलाओं को रात में ठहरने की अनुमति दी। जब इसकी शिकायत की गई, तो उन्होंने राजेंद्र प्रताप सिंह और ओमप्रकाश पांडे को धमकी दी कि अगर उन्हें हर साल ढाई लाख रुपये की रंगदारी नहीं दी गई, तो उन्हें समिति से हटा दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, रमाकांत ने विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती निर्मला पांडे, जो 1996 से बिना वेतन के सेवा कर रही हैं, को भी फर्जी सूची के आधार पर हटाने की साजिश रची। उन्होंने विद्यालय के बोर्ड से श्रीमती निर्मला पांडे का नाम हटाने का प्रस्ताव भी पारित किया। यह सारी साजिशें उस जमीन को हड़पने के लिए थीं, जो 1952 में राजेंद्र प्रताप सिंह के दादा ने विद्यालय को दान की थी। इस जमीन का एक हिस्सा जय मां दुर्गे समिति और सर्वोदय सद्भावना संस्थान को डिग्री कॉलेज या गौशाला के लिए दान किया गया था।
संरक्षक और अध्यक्ष का संघर्ष
राजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जब उन्हें इस साजिश की जानकारी हुई, तो वह और ओमप्रकाश पांडे पूरी तरह टूट गए थे। लेकिन ओमप्रकाश पांडे ने उन्हें हिम्मत दी और कहा, हनुमान जी और भगवान जगन्नाथ पर भरोसा रखें, सत्य की जीत होगी। इसके बाद, दोनों ने इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई शुरू की। राजेंद्र प्रताप सिंह ने तीन महीने तक लखनऊ, इलाहाबाद, रायबरेली, और प्रतापगढ़ में दिन-रात दौड़ लगाई। सुबह 9:30 बजे निकलते और रात 9:00 बजे लौटते। उन्होंने सब रजिस्ट्रार के सामने सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए और पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी बात रखी।
ओमप्रकाश पांडे ने भी इस लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने निजी संसाधनों से विद्यालय के विकास के लिए 20 लाख रुपये खर्च किए। इसमें सीसीटीवी कैमरे, नए फर्नीचर, सोलर सिस्टम, कंप्यूटर, और बरामदे का निर्माण शामिल था। जब 26 मई 2024 को चक्रवात के कारण बरामदे की छत उड़ गई, तो श्रीमती निर्मला पांडे ने अपने निजी खर्चे से 1 लाख रुपये देकर उसका पुनर्निर्माण कराया।
सब रजिस्ट्रार का निर्णय ऐतिहासिक
9 जून 2025 को सब रजिस्ट्रार कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने अपने 17 पृष्ठों के आदेश में रमाकांत शुक्ला द्वारा गठित फर्जी प्रबंध समिति और साधारण सभा को भंग कर दिया। उन्होंने इसे 17 मार्च 2014 से कालातीत मानते हुए समिति के सदस्यों के बीच नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया। इस निर्णय ने न केवल रमाकांत की साजिश को उजागर किया, बल्कि समिति के संविधान और सत्य की जीत को भी स्थापित किया।
इस निर्णय ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। राजेंद्र प्रताप सिंह और ओमप्रकाश पांडे के इस संघर्ष को क्षेत्रवासियों ने साहस और सत्यनिष्ठा की मिसाल बताया है। समिति के 22 सदस्यों और विश्वम प्रकाश पांडे सहित कई शुभचिंतकों ने शपथ पत्र देकर इस लड़ाई में उनका साथ दिया। राजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें कई बार जान-माल का खतरा महसूस हुआ, जिसकी शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी, और जिला अधिकारी को दी। इस मामले की जांच प्रशासन द्वारा की जा रही है।
राजेंद्र प्रताप सिंह ने इस घटना को एक पुरानी कहानी बाबा भारती और डाकू खड़ग सिंह से जोड़ा, जिसमें डाकू ने अपाहिज बनकर धोखा दिया था। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी की मदद करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें और अपराधियों के सामने कभी न झुकें। उन्होंने हनुमान जी की कृपा और भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद को इस जीत का श्रेय दिया।
जय मां दुर्गे समिति अब नए सिरे से संगठित होगी, और राजा दिनेश सिंह कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज, बढ़नी के विकास के लिए राजेंद्र प्रताप सिंह और ओमप्रकाश पांडे का संघर्ष जारी रहेगा।