प्रतापगढ़, 31 मई 2025। जिले के कुशफरा गांव में समाजसेवा और श्रद्धा का एक सुंदर उदाहरण देखने को मिला, जब गांव के उत्साही युवकों ने शनिदेव धाम पर दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को शरबत पिलाकर गर्मी से राहत दिलाई। नवतपा की तेज गर्मी में यह सेवा कार्य लोगों के लिए संजीवनी बन गया।
कुशफरा स्थित प्राचीन शनिदेव धाम प्रतापगढ़ जनपद का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां प्रत्येक शनिवार को सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन व पूजन के लिए दूर-दूर से आते हैं। इन दिनों नवतपा चल रहा है, जो भीषण गर्मी का प्रतीक माना जाता है और यह 2 जून तक चलेगा। इस दौरान तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो जाता है। ऐसे में कुशफरा के युवाओं ने अपनी सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारी निभाते हुए शनिदेव धाम आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा का संकल्प लिया।
शनिवार को इन युवाओं ने शनिदेव मंदिर जाने वाले मार्ग में श्रद्धालुओं को ठंडा और मीठा शरबत पिलाया, जिससे उन्हें गर्मी से राहत मिली और उन्होंने युवाओं के इस कार्य की सराहना की। श्रद्धालुओं ने कहा कि ऐसी सेवा भावना दुर्लभ होती है, और यह कार्य वास्तव में पुण्य का है।
सेवा कार्य में भाग लेने वाले प्रमुख युवाओं में तीरथ राज मिश्रा, जयप्रकाश मिश्रा, सुशील मिश्रा, सुनील मिश्रा, शिवाकांत मिश्रा, शिवम मिश्रा, अंशु मिश्रा, शिवांश मिश्रा, दिव्यांश मिश्रा, श्रेष्ठ मिश्रा, अजय सिंह, बबलू सिंह, गुलाब सिंह और पोद्दार सिंह शामिल रहे। इन सभी ने मिलकर स्वयं के संसाधनों से शरबत की व्यवस्था की और पूरी श्रद्धा और समर्पण से भक्तों को सेवा दी।
युवाओं का कहना है कि यह सेवा कार्य केवल एक दिन का नहीं है, बल्कि नवतपा की अवधि तक हर शनिवार को यह सेवा जारी रहेगी। वे मानते हैं कि धर्मस्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करना एक पुण्य कार्य है, जिससे सामाजिक एकता भी बढ़ती है और दूसरों को प्रेरणा मिलती है।
स्थानीय लोगों और मंदिर समिति ने भी युवाओं के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के सेवा कार्यों से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पहल न केवल धार्मिक भावना को प्रकट करती है, बल्कि युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी और समर्पण को भी दर्शाती है।
ऐसी मान्यता है कि गर्मी के मौसम में सार्वजनिक स्थलों पर जल सेवा, शरबत वितरण और छाया की व्यवस्था करना एक प्रकार की जीव सेवा है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस प्रकार के कार्य समाज में सद्भाव, सेवा और सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हैं।
कुशफरा गांव के युवाओं की यह पहल अन्य गांवों और शहरों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। यदि हर धार्मिक स्थल पर स्थानीय युवा इस प्रकार की सेवाओं के लिए आगे आएं, तो न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि सामाजिक सहभागिता भी मजबूत होगी।