Join US

छत्तीसगढ़ के जुड़वां शिशुओं को किम्स कडल्स में मिला नया जीवन

By
Published On:
Follow Us

  • बिलासपुर में समय से पहले जन्मे जुड़वां शिशु
  • तेलुगु राज्य में पहली बार समयपूर्व शिशुओं को एयरलिफ्ट किया गया
  • गंभीर संक्रमण और बेहद कम प्लेटलेट काउंट की स्थिति
  • किम्स कडल्स, कोंडापुर में एयर ट्रांसफर के बाद उपचार
  • एक महीने की गहन देखभाल के बाद स्वस्थ

हैदराबाद, 26 मई 2025। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में समय से पहले जन्मे दो नन्हे जुड़वां बच्चों का वजन केवल 1.4 और 1.5 किलोग्राम था। गंभीर संक्रमण के चलते उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई थी। स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें तुरंत एयर एम्बुलेंस के माध्यम से किम्स कडल्स हॉस्पिटल, कोंडापुर, हैदराबाद लाया गया। यह तेलुगु राज्य में पहली बार था जब समयपूर्व जुड़वां शिशुओं को एयरलिफ्ट किया गया।

किम्स कडल्स की क्लिनिकल डायरेक्टर व नियोनेटोलॉजी प्रमुख, डॉ. अपर्णा सी ने इस असाधारण मामले की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया, ट्रांसफर के दौरान ही एक बच्चे की हालत अत्यंत गंभीर थी। उसे फंगल संक्रमण के साथ-साथ ड्रग-रेजिस्टेंट बैक्टीरियल इंफेक्शन (क्लेब्सिएला) था, जिससे मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हो गया था।

उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और ब्लड प्रेशर सपोर्ट सहित कई दवाओं से उपचार शुरू किया गया। उसकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और 24 घंटे तक पेशाब नहीं हुआ। दूसरे बच्चे को फंगल सेप्सिस था और उसे सीपीएपी (नासिका मार्ग से निरंतर ऑक्सीजन आपूर्ति) की आवश्यकता थी। दोनों बच्चों के प्लेटलेट काउंट बहुत कम थे और उन्हें कई बार ब्लड और प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़े।

डॉ. अपर्णा ने आगे बताया, करीब एक महीने की गहन चिकित्सा के बाद दोनों बच्चे पूरी तरह से ठीक हो गए। संक्रमण पर नियंत्रण पा लिया गया है, वे अब स्तनपान कर पा रहे हैं और उनका वजन लगभग 2 किलोग्राम हो गया है। तमाम जटिलताओं के बावजूद, दोनों बच्चे अब स्वस्थ हैं। उनकी रेटिना स्क्रीनिंग, श्रवण परीक्षण और मस्तिष्क स्कैन सामान्य पाए गए, जिससे स्पष्ट है कि उनके विकास पर कोई दीर्घकालिक खतरा नहीं है। जन्म के 25वें दिन हम उन्हें हैदराबाद लाए थे।

इस दौरान डॉ. राजशेखर, ICATT टीम, डॉ. वामसी, डॉ. अरविंद, डॉ. प्रणीता, नर्स सुनीता और उनकी टीम ने शिशुओं की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि ऐसे एयर ट्रांसफर की लागत बहुत अधिक होती है और यह सीमित परिवारों के लिए ही संभव है, लेकिन जीवन-रक्षक मामलों में यह एक बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धि साबित होती है जिससे उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर, अनुभवी विशेषज्ञों और त्वरित देखभाल मिलती है।

डॉ. अपर्णा ने NICU विशेषज्ञों, डॉक्टरों, नर्सों, ड्राइवरों और हाउसकीपिंग स्टाफ सहित पूरी टीम की सराहना की, जिन्होंने बच्चों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब दोनों शिशुओं को सफल इलाज के बाद स्वस्थ अवस्था में उनके गृह राज्य भेज दिया गया है।

Ramesh Pandey

मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। पत्रकारिता मेरा मिशन भी है और प्रोफेशन भी। सत्य और तथ्य पर आधारित सही खबरें आप तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। आप हमारी खबरों को पढ़ें और सुझाव भी दें।

For Feedback - editorasr24@gmail.com
Join Our WhatsApp Channel