बाराबंकी, 25 मई 2025। अधिवक्ता परिषद अवध की दो दिवसीय प्रदेश परिषद बैठक का शुभारंभ शनिवार को देवा रोड स्थित साईं मण्डप के सभागार में हुआ। इस बैठक में परिषद की 17 इकाइयों के प्रतिनिधियों सहित कई गणमान्य अतिथियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने न्यायिक व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए अधिवक्ताओं को सतत अध्ययन की आदत अपनाने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, न्यायिक प्रक्रिया को सशक्त करने के लिए अध्ययन का कोई विकल्प नहीं है। विशिष्ट अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बाराबंकी प्रतिमा श्रीवास्तव ने समरसता और समानता के बीच समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल कुमार पाण्डेय ने स्वागत भाषण दिया, जबकि बाराबंकी इकाई के अध्यक्ष कौशल किशोर त्रिपाठी और महामंत्री सचिन प्रताप सिंह ने अतिथियों का प्रतीक चिह्न और अंग वस्त्र भेंटकर स्वागत किया। मंच संचालन प्रदेश महामंत्री मीनाक्षी परिहार सिंह ने किया।
बैठक के प्रथम सत्र में विशेष सचिव (न्याय) व अतिरिक्त एल.आर., उत्तर प्रदेश सरकार, बालकृष्ण एन. रंजन ने ‘प्रक्रिया एवं त्वरित न्याय: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में प्रक्रियात्मक सुधारों का मूल्यांकन’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने नई संहिता के तहत प्रक्रियात्मक सुधारों और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के उपायों पर प्रकाश डाला। यह सत्र अधिवक्ताओं के लिए नई संहिता की बारीकियों को समझने में सहायक रहा।
द्वितीय सत्र में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के संगठन मंत्री (उत्तर क्षेत्र) श्रीहरि बोरिकर ने इकाइयों के प्रतिनिधियों के साथ संगठनात्मक ढांचे और कार्ययोजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने परिषद की गतिविधियों को और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव दिए। तृतीय सत्र में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने प्रतिनिधियों के साथ मुक्त चिंतन किया, जिसमें संगठन के भविष्य के लक्ष्यों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस अवसर पर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्य प्रकाश राय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सीमा सिंह, राष्ट्रीय मंत्री चरण सिंह त्यागी, आयाम प्रमुख विपिन त्यागी, संदीप सिंह, राष्ट्रीय परिषद सदस्य, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बाराबंकी सुधा सिंह, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्षितिज पाण्डेय और अधिवक्ता परिषद अवध के सदस्य उपस्थित रहे।
यह बैठक अधिवक्ता परिषद अवध के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई, जहां न्यायिक सुधार, संगठनात्मक सुदृढ़ीकरण और अधिवक्ताओं की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। इस आयोजन ने न केवल अधिवक्ताओं को एकजुट किया, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए नए विचारों को भी बढ़ावा दिया।