लखनऊ, 24 मई 2025। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। इस प्रक्रिया के तहत ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के पुनर्गठन और परिसीमन के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुक्रवार, 23 मई 2025 को जारी शासनादेश में कहा गया है कि पंचायत चुनाव-2021 के बाद कई ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों का शहरी क्षेत्रों में शामिल होना, ग्रामीण प्रशासन और निर्वाचन प्रक्रिया के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है। इस स्थिति को देखते हुए शासन ने सभी जिलों से ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून 2025 तक मांगे हैं।
इन ग्राम पंचायतों का बदलेगा स्वरुप
पिछले पंचायत चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में शहरीकरण की प्रक्रिया तेजी से हुई है। नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों और नगर निगमों का सृजन और उनके सीमा विस्तार के कारण कई ग्राम पंचायतें और राजस्व ग्राम पूरी तरह या आंशिक रूप से शहरी क्षेत्रों में शामिल हो गए हैं। इस बदलाव के परिणामस्वरूप कई ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 1000 से कम हो गई है, जो उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के तहत न्यूनतम जनसंख्या मानक को पूरा नहीं करती। शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि ऐसी ग्राम पंचायतों को या तो हटाया जाएगा या उनके शेष राजस्व ग्रामों को निकटतम ग्राम पंचायतों में शामिल किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार 1000 से अधिक आबादी वाले ग्राम या ग्रामों के समूह को ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकती है। यदि कोई ग्राम पंचायत पूरी तरह से नगरीय निकाय में शामिल हो गई है, लेकिन उसका कोई राजस्व ग्राम शेष है और वह ग्राम पंचायत बनाने के मानक को पूरा करता है, तो उसे नई ग्राम पंचायत के रूप में गठित किया जा सकता है। वहीं, यदि किसी एकल राजस्व ग्राम से बनी ग्राम पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुई है, लेकिन उसकी जनसंख्या अभी भी 1000 या उससे अधिक है, तो वह यथावत बनी रहेगी।
परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया
शासन ने ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के आंशिक पुनर्गठन के लिए प्रत्येक जिले में एक चार सदस्यीय कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। इस कमेटी की अध्यक्षता संबंधित जिले के जिलाधिकारी (डीएम) करेंगे, जबकि जिला पंचायत राज अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया है। कमेटी में मुख्य विकास अधिकारी और जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह कमेटी ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन के प्रस्ताव तैयार करेगी और 5 जून 2025 तक शासन को सौंपेगी।
शासनादेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि नगरीय निकायों के सृजन या सीमा विस्तार के बाद प्रभावित विकास खंडों की संशोधित अधिसूचना जारी हो चुकी हो। यदि किसी जिले में यह कार्य लंबित है, तो उसे तत्काल पूरा किया जाए। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि या देरी पंचायत चुनाव की तैयारियों को प्रभावित कर सकती है।
नगरीय निकायों के सृजन पर रोक
पंचायत चुनाव की तैयारियों को सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए शासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रमुख सचिव, पंचायती राज अनिल कुमार ने नगर विकास विभाग को एक आधिकारिक पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि पंचायत चुनाव-2026 और ग्राम पंचायतों के पूर्ण संगठन तक नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों और नगर निगमों के सृजन या सीमा विस्तार पर रोक लगाई जाए। यह निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि नगरीय निकायों के क्षेत्र में परिवर्तन से ग्राम पंचायतों की मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण, वार्डों के निर्धारण और आरक्षण प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 में प्रस्तावित हैं। इस दौरान ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण, परिसीमन, वार्ड निर्धारण और आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जानी है। यदि इस बीच नगरीय निकायों का सृजन या सीमा विस्तार होता है, तो यह निर्वाचन संबंधी कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, शासन ने इस प्रक्रिया को स्थगित रखने का निर्देश दिया है ताकि पंचायत चुनाव समय पर और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सकें।
मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण
पंचायत चुनाव की तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण है। शासनादेश के अनुसार, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों की मतदाता सूचियों को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें लगभग छह महीने का समय लगने की संभावना है। इस प्रक्रिया में न केवल नई मतदाता सूचियां तैयार की जाएंगी, बल्कि पुरानी सूचियों में सुधार और अपडेशन भी किया जाएगा।
पिछले अनुभवों को देखते हुए, मतदाता सूची पुनरीक्षण में कई चुनौतियां सामने आती हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां ग्राम पंचायतें नगरीय निकायों में शामिल हो चुकी हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच सीमाओं के परिवर्तन से मतदाता सूचियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, शासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं कि सभी जिले इस प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से पूरा करें।
आरक्षण और जनसंख्या निर्धारण
पंचायत चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया भी एक महत्वपूर्ण चरण है। ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए आरक्षण निर्धारण के लिए पिछड़ी जाति की जनसंख्या और श्रेणीवार जनसंख्या के आंकड़े अपडेट किए जाएंगे। यह प्रक्रिया न केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करती है, बल्कि सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा देती है। पिछले पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रक्रिया को लेकर कुछ विवाद सामने आए थे, जब 1995 को आधार वर्ष मानने के बजाय 2015 को आधार वर्ष बनाया गया था।
इस बार शासन ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जनसंख्या के आंकड़ों को सटीकता के साथ अपडेट करें और समय सीमा के भीतर प्रस्ताव शासन को भेजें।
पंचायतों का कार्यकाल और समयसीमा
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 26 मई 2026, क्षेत्र पंचायतों का 19 जुलाई 2026 और जिला पंचायतों का 11 जुलाई 2026 को समाप्त होगा। इस कार्यकाल की समाप्ति से पहले नए सिरे से निर्वाचन कराना अनिवार्य है। शासन ने इस बात पर जोर दिया है कि सभी तैयारियां समय पर पूरी की जाएं ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी न हो।
पिछले पंचायत चुनाव 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण तैयारियों में देरी हुई थी, जिसके चलते चुनाव अप्रैल-मई 2021 में आयोजित किए गए थे। इस बार शासन इस बात को लेकर सतर्क है कि सभी प्रक्रियाएं समयबद्ध तरीके से पूरी हों। इसके लिए परिसीमन, मतदाता सूची पुनरीक्षण और आरक्षण प्रक्रिया को एक निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक सेमीफाइनल की तरह माने जाते हैं, क्योंकि ये 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों की ताकत का आकलन करने का अवसर प्रदान करते हैं। प्रदेश में 57,691 ग्राम पंचायतें, 826 ब्लॉक और 75 जिला पंचायतें हैं, जो ग्रामीण प्रशासन और विकास की रीढ़ हैं। इन चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी ताकत आजमाते हैं।