प्रतापगढ़, 6 मई 2025। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के राष्ट्रीय आह्वान पर जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल (डीटीयूसी) प्रतापगढ़ ने 5 मई को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी और सम्मानजनक वेतन के लिए जिला अधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। सुबह 10 बजे आयोजित अखिल भारतीय मांग दिवस के तहत डीटीयूसी ने भारत सरकार के श्रम मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।
ज्ञापन में मांग की गई कि उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी बोर्ड का पुनर्गठन हो, जिसमें एटक के प्रतिनिधि सहित श्रमिक प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। न्यूनतम मजदूरी कम से कम 26,000 रुपये घोषित की जाए, जो संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में लागू हो। नियमित प्रकृति के कार्यों में आउटसोर्सिंग और ठेका प्रथा बंद हो, और नियमित भर्ती सुनिश्चित की जाए।
आंगनबाड़ी, रसोइया जैसी स्कीम वर्कर्स और मनरेगा श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के अनुसार भुगतान हो, जिसमें मनरेगा के कार्यदिवस दोगुने किए जाएं। न्यूनतम मजदूरी का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग भी की गई।
प्रदर्शन में डीटीयूसी अध्यक्ष और एटक के राज्य सचिव हेमंत नंदन ओझा, डीटीयूसी महामंत्री नरेंद्र प्रसाद मिश्र, संरक्षक वीपी त्रिपाठी, रामबरन सिंह, किसान सभा के निर्भय प्रताप सिंह, स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ के रोशन, बिजली कर्मचारी यूनियन से आमिर सिद्दीकी, केशव त्रिपाठी, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लायर्स के आलोक सिंह, देवेंद्र शुक्ला और रामस्वरूप पाल शामिल रहे।
साथ ही आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान न्यूनतम मजदूरी महंगाई के अनुरूप नहीं है। निजी और असंगठित क्षेत्रों के साथ-साथ सरकारी संस्थानों और निगमों में भी न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा। ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं किया जा रहा। आंगनबाड़ी और रसोइयों को जीवनयापन के लिए पर्याप्त वेतन नहीं मिलता।
प्रतापगढ़ में जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद नगर पालिका और नगर पंचायतों में सफाई कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही। बिजली विभाग में मीटर रीडर 26 दिन, 8 घंटे से अधिक कार्य करने के बावजूद मात्र 4,000-5,000 रुपये पाते हैं। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि सम्मानजनक मजदूरी हर श्रमिक का संवैधानिक और कानूनी अधिकार है, जिसे केंद्र और राज्य सरकार गंभीरता से लागू नहीं कर रही।
श्रमिक नेताओं ने घोषणा की कि श्रम कानूनों को समाप्त कर नई श्रम संहिता लागू करने, सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेका प्रथा, और पुरानी पेंशन समाप्त करने के विरोध में 20 मई को संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, स्कीम वर्कर्स और सरकारी कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे।
इस हड़ताल में न्यूनतम मजदूरी लागू करने, रिक्त पदों पर भर्ती और स्कीम वर्कर्स के लिए उचित वेतन की मांग प्रमुख होगी।