वाराणसी, 4 मई 2025। योग गुरू पद्मश्री शिवानंद बाबा का निधन हो गया। 128 साल की उम्र में उन्होंने शनिवार 3 मई 2025 की रात करीब साढ़े आठ बजे अंतिम सांस ली। वह पिछले तीन दिन से अस्वस्थ थे। उन्हें इलाज के लिए बीएचयू में एडमिट कराया गया था। बीएचयू में ही उन्होंने जीवन की अंतिम सांस ली।
शिवानंद बाबा का अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर रविवार को किया गया। योग गुरू शिवानंद बाबा तब चर्चा में आये थे जब 2022 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। बाबा शिवानंद दुर्गाकुंड के कबीर नगर में रहते थे।
21 मार्च 2022 को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शिवानंद बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इस दौरान सफेद धोती-कुर्ता पहने 125 साल के शिवानंद बाबा आए तो उन्होंने पीएम मोदी को प्रणाम किया।
जिसके बाद पीएम मोदी ने भी अपनी कुर्सी से खड़े होकर शिवानंद बाबा को हाथ जोड़कर झुककर प्रणाम किया। इसके बाद शिवानंद बाबा ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगे झुककर नमस्कार किया. जिसके बाद राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें अपने हाथों से उठाया और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
गीता का नियमित करते थे पाठ
शिवानंद बाबा के बारे में उनके करीबी बताते हैं कि उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को बांग्लादेश के सिलहट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था। शिवानंद बाबा प्रतिदिन सुबह 3 बजे जग जाते थे। इसके बाद वह नित्यक्रिया और स्नान करने के बाद श्रीमद्भगवदगीता का पाठ करते थे।
शिवानंद बाबा कभी नहीं पड़े बीमार
करीबी बताते हैं कि शिवानंद बाबा कभी बीमार नहीं पड़े। 2019 में कोलकाता और चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उनका मेडिकल चेकअप कराया गया था। रिपोर्ट में उन्हें पूरी तरह स्वस्थ्य बताया गया था। वह हर रोज 3 मिनट तक सर्वांगासन किया करते हैं। फिर एक मिनट का शवासन भी करते।
उबला हुआ भोजन करते थे
शिवानंद बाबा के एक शिष्य ने बताया कि वह फल या दूध तक नहीं खाते थे। वह सिर्फ उबला हुआ भोजन करते, जिसमें नमक काफी कम रहता था। रात के भोजन में जौ से बना दलिया, आलू का चोखा और उबली सब्जी खाने के बाद रात 9 बजे तक सो जाते थे।
वह एक पुराने भवन के छोटे से कमरे में शिष्यों के साथ रहते थे। रात में चटाई बिछाकर सोते थे।वह अविवाहित रहे। दुर्गाकुंड के कबीरनगर में स्वामी शिवानंद का आश्रम है।
महाकुंभ में आकर्षण का केन्द्र रहे
प्रयागराज में हुए महाकुंभ में बाबा शिवानंद लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहे। हर कोई उनसे मिलकर उनकी लंबे और स्वस्थ्य जीवन का राज जानना चाह रहा था।