प्रतापगढ़, 6 अप्रैल 2025। रविवार 6 अप्रैल 2025 की सुबह का सूरज जब आसमान में चमक रहा था, उसी वक्त एक साहसी सपूत की जिंदगी अंधेरे में डूब गई। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के बेलहा गांव के लाल, 41 वर्षीय रामकुमार तिवारी, जो आगरा में भारतीय वायुसेना के वारंट अफसर थे, एक हृदयविदारक हादसे का शिकार हो गए।
आसमान की ऊंचाइयों को छूने वाला यह जांबाज, 19 हजार फीट की ऊंचाई से धड़ाम से जमीन पर आ गिरा। तकनीकी खामी ने उनके पैराशूट को खुलने से रोक दिया, और सिर पर गहरी चोट व खून के रिसते धागों ने उनकी सांसों को हमेशा के लिए थाम लिया।
रविवार की सुबह, आगरा बेस कैंप में ट्रेनिंग सेशन के दौरान रामकुमार अपने जवानों को पैराशूट जम्पिंग की बारीकियां सिखा रहे थे। वे आसमान में उड़ान भरते हुए नन्हे साहसी सपनों को पंख दे रहे थे, लेकिन किसे पता था कि यह उड़ान उनकी आखिरी होगी।
पैराशूट नहीं खुला, और एक पल में सब कुछ खत्म हो गया। नीचे खड़े जवान और अधिकारी उन्हें तेजी से गिरते देख सन्न रह गए। सब दौड़े, कोशिश की कि किसी तरह अपने अफसर को बचा लें, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
जमीन पर गिरते ही उनके सिर से खून बहने लगा। साथी जवानों की आंखों में आंसू और हाथों में उम्मीद लिए वे उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद उन्हें ICU में भर्ती किया, लेकिन दो घंटे की जद्दोजहद के बाद भी वह जिंदगी की जंग हार गए। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, और एक परिवार का आसमान हमेशा के लिए सूना हो गया।
पत्नी बेहोश, बच्चे बिलखते रह गए
रामकुमार की पत्नी प्रीति तिवारी को जैसे ही यह मनहूस खबर मिली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह बेहोश होकर गिर पड़ीं। उन्हें बेसुध हालत में अस्पताल ले जाया गया। उनके दो मासूम बेटे 14 साल का यश और 10 साल का कुश रो-रोकर अपने पिता को पुकारते रहे। पापा वापस आ जाओ, उनकी चीखें सुन हर आंख नम हो गई।
प्रतापगढ़ में रहने वाले रामकुमार के माता-पिता, रमाशंकर तिवारी और उर्मिला, को भी यह खबर दी गई। पिता ने रोते हुए बताया, सात दिन पहले ही वह छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गया था। कौन जानता था कि यह उसकी आखिरी विदाई थी।
वायुसेना ने जताया शोक
भारतीय वायुसेना की आकाश गंगा स्काई डाइविंग टीम के इस नन्हे साहसी ट्रेनर के निधन से पूरा वायुसेना परिवार स्तब्ध है। एयरफोर्स ने X पर ट्वीट कर शोक जताया और कहा, रामकुमार तिवारी का हादसा हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं।
रामकुमार तिवारी अब नहीं रहे, लेकिन उनकी बहादुरी और समर्पण की कहानी हमेशा जिंदा रहेगी। एक सपूत जो आसमान को छूने निकला था, आज उसी आसमान ने उसे अपने आगोश में ले लिया। उनके परिवार का दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता, और उनकी यादें हर उस जवान के दिल में बसेंगी, जिसे उन्होंने उड़ान भरना सिखाया।